*8368323740* *बाली पहलवान*
आज भाँ दुर्गा के षष्ठम रूप माता कात्यायनी देवी की पूजा है । माँ कात्यायनी के चरणों में हृदयतल से सादर नमन करते हुए आप समस्त माताओं , बहनों और बंधुओं को भी हृदयतल से सादर नमन है । माता की कृपा आप सबों पर भी यों ही सदा बरसती रहे । इन्हीं शुभकामनाओं के साथ माता के चरणों में एक रचना का प्रयासः
रोज गुरुवार शुक्ल षष्ठी तिथि ,
षष्ठम् रूप विराजित माँ आज ।
महिषासुर का था आतंक बढ़ा ,
देवों का देवी पर था बहुत नाज ।।
महर्षि कत् के पुत्र कात्य ने ही ,
भगवती पराम्बा की की उपासना।
षष्ठम् रूप पुत्री के ही रूप में ,
कात्यायनी आईं सुन आराधना ।।
कात्य गोत्र महर्षि थे कात्यायन ,
महिषासुर से जब हुए परेशान ।
त्रिदेव ने निज तेज के अंश से ,
एक देवी की थे वे किए निर्माण ।।
माँ कात्यायनी नाम पड़ा जिनका,
महर्षि कात्यायन की पूजा कारण।
कन्याओं को देतीं घर वर सुन्दर ,
भक्तों के कष्ट करतीं निवारण ।।
देवी के इस छठे रूप को सादर ,
हृदयतल से बारम्बार है प्रणाम ।
रत होकर साहित्य में हम सब ,
साहित्य को दें हम उच्च आयाम।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।
Gunjan Kamal
07-Apr-2022 11:27 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻 जय मां कात्यायनी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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Swati chourasia
07-Apr-2022 08:41 PM
Very beautiful 👌
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